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हाय!!! महंगाई .....

हाय हाय महंगाई..महंगाई - महंगाईन जाने कहाँ से आई.
बेबस शासन इसके आगे,ये किसी के समझ न आई.
करते थे दाल-रोटी से गुज़ारा,अब वो भी नसीब नहीं भाई.
सब नकली हर जगह मिलावट,नीयत में भी खोट है समाई.
हाहाकार मचा दी तूने ,कैसे गूंजेगी शहनाई.

महंगाई

महंगाई -दोस्तों आज महंगाई हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आई हैंइसके चलते गरीब से लेकर मध्यम वर्ग के परिवारों का जीवन अस्त - व्यस्त हो गया हैं उन्हें खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही हैंआज हर समान का दाम आसमान छु रहा हैं कभी वक्त ऐसा था की मुठी भर पैसे में थैला भर कर समान आता था , आज वक्त ऐसा हैं की थैले भर पैसे में मुठी भर समान आता हैंये कैसी बला हैं जिसने पूरी दुनिया पर अपना आतंक मचा रखा हैंआज आतंकवाद से ज्यादा आतंक महंगाई का हैंआज आतंकवाद से ज्यादा लोग महंगाई से डरते हैंमहंगाई लोगो को तिल तिल ( तड़पा - तड़पा ) कर मार रही हैंआज जब संसद में बजट पेश होता हैं तो पूरा देश अपनी साँसे रोक अपनी नजर , कान और अपन पुरा ध्यान संसद के बजट पर लगा देता हैंउसका सोचना ये होता हैं कीअब महंगाई अपना कौन सा कहर बरपाएगी ?अब महंगाई हमारे जीवन को और कितना बर्बाद करेंगी ?आज तक प्राकृतक...

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